History of Operating System in Hindi

नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका हमारी एक और नई ब्लॉग पोस्ट मैं आज हम इस पोस्ट में ऑपरेटिंग सिस्टम के इतिहास (History of Operating System in Hindi) के वारे में चर्चा करने वाले है। इस ब्लॉग पोस्ट की सहायता से हम जानेंगे कि Operating की शुरूआत कब हुई और कैसे हुई, साथ ही हम यह भी जानेंगे कि किस तरह यह इतना एडवांस होता बना।

तो अगर आप भी ऑपरेटिंग सिस्टम के इतिहास के बारे मैं अपनी आसान भाषा में जानना चाहते है तो यह ब्लॉग पोस्ट आपके के लिए बिलकुल सही है, इसलिए आप इसको पूरा जरूर पढ़िएगा। तो चलिए शुरू करते है!

History of Operating System in Hindi – ऑपरेटिंग सिस्टम का इतिहास

Operating Systems का विकास 1950s से लेकर अब तक बहुत तेजी से होता जा रहा है। यहाँ पर हमने OS के डेवेलोपमेंट को उदहारण सहित समझाया है की किस तरह इसका विकास होता चला आ रहा है:

1. First Generation (1940s – Early 1950s) – (Manual Processing)

  • इस दौर के जो computers हुआ करते थे उनको बिना किसी Operating System (OS) का उपयोग करे चलाया जाता था।
  • अगर उस समय कोई व्यक्ति कंप्यूटर का इस्तेमाल करता था तो उस User को Punch Cards की सहायता से programs इनपुट करने पड़ते थे।
  • कंप्यूटर को चलने के लिए जितनी भी प्रोसेस होती थी उन सबको एक – एक करके manually execute किया जाता था।
  • यह प्रक्रिया काई ज्यादा slow और error-prone होती थी, जिसकी वजह से काफी ज्यादा समय खर्च होता था।
  • इन Computers का उपयोग मुख्य रूप से scientific calculations को करने के लिए किया जाता था, और इनको सिर्फ Experts के द्वारा ही चलाया जा सकता था।
  • ये जो कंप्यूटर थे वह Vacuum Tubes पर आधारित हुआ करते थे, जो अधिक बहुत ज्यादा power consume करते थे और overheat बहुत जल्दी हो जाते थे। इनके अलाबा इनका साइज भी काफी ज्यादा बड़ा होता था।
  • Example: First Generation (1940s – Early 1950s) ऑपरेटिंग सिस्टम का उदहारण ENIAC (Electronic Numerical Integrator and Computer) था, जिसे 1946 में develop किया गया था।

2. Second Generation (1955 – 1965) – (Batch Processing System)

  • ये वो समय है जब Batch Operating System का विकास हुआ था, जिसके बाद कंप्यूटर पहले से काफी तेज़ और ऑटोमेटेड हो गए।
  • Batch Operating System में एक साथ multiple programs को run किया जाने लगा, जिससे execution का जो समय था वह कम हो गया।
  • इसके आने से Manual intervention भी कम हो गई और इसके उपयोग से processing speed काफी हद तक बढ़ गई।
  • इस पीढ़ी के जो कंप्यूटर हुआ थे वह Transistors पर आधारित हुआ करते थे, जो Vacuum Tubes से ज़्यादा तेज़, छोटे और energy-efficient थे।
  • अब इसके आने के बाद high-level programming languages जैसे FORTRAN और COBOL का उपयोग किया जाने लगा।
  • Example: इस पीढ़ी का एक उदाहरण IBM Mainframe OS था, जिसे business और scientific applications में इस्तेमाल किया जाता था।

3. Third Generation (1965 – 1980) – (Multiprogramming & Time-Sharing)

  • यह वो दौर है जब Multiprogramming और Time-Sharing OS को बनाया गया था।
  • अब इस दौर के बाद जितने भी computer आए थे वो सभी एक साथ multiple users और multiple processes को संभालने (handle) के लायक थे।
  • इसके आने के बाद CPU utilization बहुत ज्यादा बढ़ गया और साथ ही processing speed में भी कुछ कुछ हद तक सुधार हो गए।
  • इस OS के आने के बाद ही पहली बार Interactive Computing संभव हो पाया, इसकी वजह से real-time processing भी बहुत ज्यादा आसान हो पाई।
  • साथ इसके कारण Disk storage का उपयोग बढ़ गया जिससे data को access करने की स्पीड भी तेज़ हो गई।
  • ये वही समय था जब UNIX Operating System (1969) को विकसित किया गया था, जिसने आगे चलकर modern OS का Foundation रखा।
  • Example: अगर हम बात करे इस पीढ़ी के उदाहरण की, तो इस पीढ़ी के प्रमुख उदाहरण UNIX और MULTICS थे, जिनका उपयोग उस समय बड़े – बड़े computing systems में किया जाता था।

4. Fourth Generation (1980 – 2000) – (GUI-Based & Personal Computers)

  • ये जो 1980 – 2000 है, ये वही दौर है जब Microsoft और Apple ने अपने – अपने खुद के Operating Systems को मार्किट में इंट्रोडक्शन किया था।
  • इस दौर में Microsoft कंपनी ने अपने खुद के OS को introduce किया, जो Graphical User Interface (GUI) फीचर के साथ आया और इसे पूरी तरह user-friendly बनाया गया था, जिसे आज हम Windows के नाम से जानते है।
  • इसके आलावा Apple ने भी इसी दौर में अपने ऑपरेटिंग सिस्टम MacOS नाम के ऑपरेटिंग सिस्टम को डेवेलोप किया था, जो पूरी तरह से graphical interface का एक advanced version था और इसके अलाबा यह काफी बेहतर performance और security प्रदान करता था।
  • यही नहीं इस दौर में Linux OS को भी develop किया गया था, जो एक open-source platform है और जिसे उस समय में developers और enterprises के बीच काफ़ी ज्यादा Popularity मिली।
  • यही नहीं इस समय के जितने भी Operating Systems उन सभी ने networking, security, और cloud integration जैसी कई नई – नई technologies को भी अपनाया था।
  • Example: इस पीढ़ी के प्रमुख उदाहरण हैं: Windows 95, MacOS, और Linux, जिनको आज के समय में भी अलग-अलग क्षेत्रों में उपयोग किए जा रहा हैं।

5. Fifth Generation (2000 – Present) – (Mobile OS & Cloud Computing)

  • इस दौर में ही Smartphones और tablets के लिए Android और iOS जैसे Operating Systems को विकसित किया गया था, जो user-friendly interface और high performance प्रदान करते हैं।
  • इस दौर के बाद ही Cloud-based OS में डाटा को remote servers पर स्टोर किया जाता है, जिसके कारण storage की जो limitations होती है वह काफी कम हो जाती हैं और data accessibility बढ़ती है।
  • ये वही दौर है जिसके बाद AI और Machine Learning integrated ऑपरेटिंग सिस्टम्स का डेवलपमेंट बहुत ही ज्यादा तेजी से होता जा रहा है, जिसकी मदद से voice recognition, automation और personalization आदि जैसी कई सारी सुविधाएं हमे आसानी से उपलब्ध हो पा रही हैं।
  • अब Operating Systems में एक अच्छी सिक्योरिटी, faster updates, और seamless connectivity आदि जैसी कई advanced features को जोड़ा जा रहा हैं।
  • इस दौर की शुरू आत सन 2000 से हुई और आज तक चली आ रही है। इस जनरेशन में जितने भी OS बनाए गए है वो सभी खाफी ज्यादा एडवांस है।
  • Example: उदाहरण: Windows 10/11, macOS Monterey, Android, iOS, Chrome OS।

Conclusion (निष्कर्ष)

तो दोस्तों, इस ब्लॉग पोस्ट में हमने जाना कि किस तरह ऑपरेटिंग सिस्टम की शुरुआत हुई और किस तरह हर जनरेशन के साथ यह और भी एडवांस बनता गया। शुरूआत में जहाँ सब कुछ मैन्युअली होता था, वहीं आज के समय के सभी OS स्मार्ट, फास्ट और यूज़र फ्रेंडली हो चुके हैं।

उम्मीद है आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी और आप इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करेंगे। अगर आपको इस पोस्ट या फिर किसी और टॉपिक से सम्बंधित कोई भी जानकरी या suggestion देना हो तो आप हमे कमेंट के जरिये बता सकते है। Thank You!

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