Difference between Verification and Validation in Hindi

जब कोई नया software या application तैयार किया जाता है, तो उसे तुरंत users को नहीं दिया जाता। सबसे पहले उसे अलग-अलग तरीकों से चेक किया जाता है, ताकि ये सुनिश्चित हो सके कि वो ठीक से बना है और सही तरह से काम करेगा या नहीं। इस जांच के दौरान दो जरूरी चरण होते हैं – Verification और Validation (Verification and Validation), जिन्हें short में V&V भी कहा जाता है।

हालांकि ये दोनों शब्द एक जैसे लगते हैं, लेकिन इनका मतलब, तरीका और समय अलग होता है। तो चलिए इसे हमनी सिंपल और समझने लायक भाषा में समझते है!

Verification और Validation 

भले ही Verification और Validation अलग – अलग तरीके से काम करते हैं, लेकिन दोनों का लक्ष्य सॉफ्टवेयर को बेहतर बनाना होता है। इनका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जो product बन रहा है, वो न सिर्फ सही तरीके से बना हो, बल्कि यूजर की जरूरतें भी पूरी कर सके।

  1. Verification का मतलब है ये देखना कि काम करने का तरीका ठीक है या नहीं और उससे सही चीज़ बन रही है या नहीं।
  2. Validation ये सुनिश्चित करने की प्रक्रिया है कि हमने जो product बनाया है वह ठीक से काम कर रहा है या नहीं।

वेरिफिकेशन क्या होता है? – What is Verification in Hindi

Verification एक ऐसा प्रोसेस होता है जिसमें ये सुनिश्चित किया जाता है कि सॉफ्टवेयर बनाने की पूरी प्रक्रिया Fixed standards के अनुसार हो रही है या नहीं। इसमें यह देखा जाता है कि जो requirements दी गई थीं, क्या उन्हें सही से समझकर उसी के अनुसार coding और designing का काम हो रहा है या नहीं।

इसमें software को चलाया नहीं जाता बल्कि सिर्फ डॉक्यूमेंट्स, डिज़ाइन और कोड को Review किया जाता है।

वेरिफिकेशन का उदहारण – Example of Verification in Hindi

अगर कोई client चाहता है कि सॉफ्टवेयर में attendance का ऑप्शन होना चाहिए, तो Verification करते समय यह चेक किया जाएगा कि यह यह feature कोड में मौजूद है या नहीं और वैसा ही काम कर रहा है जैसा requirement document में बताया गया था।

वेरिफिकेशन की विशेषताएं – Features of Verification in Hindi

  • यह एक स्थिर (static) प्रक्रिया होती है जिसमें सॉफ्टवेयर को चलाने की आवश्यकता नहीं होती।

  • इस प्रक्रिया के ज़रिए development की शुरुआत में ही possible गलतियों को पहचाना जा सकता है।

  • इससे समय और लागत (cost) दोनों की बचत होती है।

  • यह मेथड documentation, code structure और logic की क्वालिटी को बेहतर बनाने में मदद करता है।

  • साथ ही, इससे future errors और bugs की संभावना भी कम हो जाती है।

Verification में इस्तेमाल होने वाले तरीके:

  1. कोड रिव्यू (Code Review)

  2. वॉकथ्रू (Walkthrough)

  3. डॉक्यूमेंट्स की जांच (Documentation Checking)

  4. स्टैटिक एनालिसिस (Static Analysis)

वेलिडेशन क्या होता है? – What is Validation in Hindi

Validation तब किया जाता है जब software पूरी तरह बनकर तैयार हो जाता है। इसमें ये देखा जाता है कि जो प्रोडक्ट बना है, क्या वो यूज़र की जरूरतों को पूरा करता है या नहीं। यानी अब सॉफ्टवेयर को actual में रन करके देखा जाता है कि वो सही से काम कर रहा है या नहीं।

वेलिडेशन का उदहारण – Example of Validation in Hindi

पहले से बने software में जब हम attendance feature को असली यूज़र्स यानी teachers और students के साथ टेस्ट करते हैं, तो कई चीजें देखी जाती हैं। जैसे – attendance mark करने में कोई दिक्कत तो नहीं हो रही? system stable है या बार – बार hang/crash हो रहा है? और इसकी जो प्रोसेस है क्या वह user-friendly है या नहीं?

वेलिडेशन की विशेषताएं – Features of Validation in Hindi

  • यह testing इस तरह की जाती है जैसे कोई आम user software को अपने काम के लिए चला रहा हो, ताकि असली conditions में उसके behavior को समझा जा सके।

  • इस टेस्टिंग में यह देखा जाता है कि software यूज़र की जरूरतों और expectations को सही तरीके से पूरा कर पा रहा है या नहीं।

  • इस टेस्टिंग के जरिये यह सुनिश्चित होता है कि final product असली यूजर्स के लिए उपयोगी और उपयोग करने के लायक हो।

  • इसमें यह भी देखा जाता है कि यूजर इंटरफेस कितना आसान और सिंपल है, उपयोग करने में कोई परेशानी तो नहीं आ रही, और यूजर को पूरा सिस्टम कैसा Experience हो रहा है।

  • साथ ही, इसमें real-world scenarios को ध्यान में रखकर टेस्ट किया जाता है ताकि software release से पहले किसी प्रकार की बड़ी गलती न रह जाए।

Validation में इस्तेमाल होने वाले तरीके:

  1. यूनिट टेस्टिंग (Unit Testing)

  2. इंटीग्रेशन टेस्टिंग (Integration Testing)

  3. सिस्टम टेस्टिंग (System Testing)

  4. यूज़र एक्सेप्टेंस टेस्टिंग (User Acceptance Testing)

  5. रेग्रेसन टेस्टिंग (Regression Testing)

Difference between Verification and Validation in Hindi

विषय Verification Validation
Objective यह चेक करता है कि हम software को सही तरीके से बना रहे हैं या नहीं यह चेक करता है कि जो software बना है, वो सही से काम कर रहा है या नहीं
Time यह टेस्टिंग development के समय होती है। और यह development पूरा होने के बाद होता है
Process इसमें Static process होती है जिसका मतलब है बिना program चलाए ही उसकी जांच करना। जबकि इसमें dynamic process की जाती है जिसका यह मतलब होता है हर फीचर को खुद से चला कर चेक करना
focus डॉक्यूमेंट्स, कोड, और डिज़ाइन पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है final product और यूज़र के एक्सपीरियंस पर ध्यान दिया जाता है
Example क्या कोड requirement के अनुसार लिखा गया है? क्या यूज़र आसानी से attendance भर पा रहा है?

V&V क्यों जरूरी है? – Why is V&V necessary in Hindi?

Development process के दौरान errors आना कोई नई बात नहीं है, पर अगर इन्हें शुरू में ही identify कर लिया जाए, तो बाद में प्रोजेक्ट smooth और कम खर्च में पूरा हो सकता है।

V&V की जरूरत इसलिए है क्योंकि:

  • अगर कोड में शुरुआत से ही error है, तो बाद में उसे ठीक करना बहुत महंगा पड़ता है।

  • गलतियाँ होने के कारण प्रोजेक्ट को पूरा होने में देरी हो सकती हैं।

  • client का भरोसा टूट सकता है अगर software उसकी Requirement के अनुसार न हो।

  • बिना V&V के सॉफ्टवेयर की reliability कमजोर हो सकती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

Verification और Validation दोनों ही software testing के ज़रूरी हिस्से हैं। एक हमें बताता है कि हम प्रोसेस को सही तरीके से कर रहे हैं या नहीं (Verification), और दूसरा हमें दिखाता है कि हमने जो बनाया है, वो असल में काम कर भी रहा है या नहीं (Validation)।

अगर आप software development या testing सीख रहे हैं, तो इन दोनों concepts को अच्छे से समझना बहुत ज़रूरी है। इनका सही इस्तेमाल आपके project को सफल बना सकता है और यूज़र का भरोसा जीत सकता है।

अगर आपको यह ब्लॉग पोस्ट समझ में आया हो, तो इसे अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर करें जो software engineering या computer science की पढ़ाई कर रहे हैं। Thank You!

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